दो वीआरएस लेने वाले शिक्षकों का भुगतान रोका गया

देवरिया एसटीएफ का खौफ अफसरों व कर्मचारियों के सिर चढ़कर बोल रहा है। शिकायत के बाद वीआरएस लेने वाले दो शिक्षकों का समस्त बकाए का भुगतान बीएसए ने रोक दिया है। लार विकास खंड के दो शिक्षकों को अगस्त में बीएसए ने वीआरएस स्वीकृत कर दिया, लेकिन इसी बीच किसी ने फर्जी अभिलेख के आधार पर नौकरी करने की शिकायत कर दी। जिसके बाद तत्कालीन बीएसए ओमप्रकाश यादव ने रोक लगा दी। तत्कालीन बीएसए ने उनके अभिलेखों की जांच के लिए संबंधित बोर्ड व विश्वविद्यालय को भेजा है। वहीं सदर विकास खंड के उच्च प्राथमिक विद्यालय रघवापुर में सहायक अध्यापक अफशा चिश्ती गंभीर रूप से बीमार होने के कारण वीआरएस लिया है। तत्कालीन बीएसए ने 29 मई को वीआरएस स्वीकृति कर दी, लेकिन वित्त एवं लेखाधिकारी ने एसटीएफ जांच के बाद रखें टिप्पणी के साथ ही शिक्षिका के देयकों का भुगतान रोक दियावहीं अगस्त में वीआरएस लेने वाले रुद्रपुर विकास खंड के उच्च प्राथमिक विद्यालय में तैनात एक शिक्षक का सभी देयकों का भुगतान अफसरों ने आननफानन में कराया। इस संबंध में वित्त एवं लेखाधिकारी जगदीश लाल श्रीवास्तव ने बताया कि बीएसए ने दो शिक्षकों के भुगतान पर रोक लगाई है। बाकी लोगों का भुगतान जल्द कर दिया जाएगा।


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जमीयत उलेमा-ए-हिन्द के महासचिव मौलाना महमूद मदनी, मुस्लिम इत्तेहाद परिषद के प्रमुख मौलाना तौकीर रजा, दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष जफरुल इस्लाम खान और फतेहपुरी मस्जिद के शाही इमाम मुफ्ती मुकर्रम अहमद की तरफ से अपील जारी की गई है। कई दूसरे संगठनों ने भी अपील का समर्थन किया है।
इस बार शब-ए-बारात 8-9 अप्रैल की रात है। इस्लामी कैलेंडर में इस रात को पवित्र माना जाता है और इस मौके पर लोग मस्जिदों में इबादत करते हैं और अपने दिवंगत परिजन और रिश्तेदारों के लिए दुआ मांगने कब्रिस्तान जाते हैं।
कर्नाटक प्रदेश औकाफ बोर्ड ने निर्देश दिया है कि 9 अप्रैल को शब ए बरात के दौरान कोई भी मस्जिद में जाकर सामूहिक प्रार्थना न करे। साथ ही पूरे प्रदेश में लोगों के दरगाह या कब्रिस्तान जाने का कार्यक्रम भी रद्द रहेगा।
कोरोना: मुस्लिम धर्मगुरुओं की अपील, शब-ए-बारात पर कब्रिस्तान न जाएं
NEWS देश के प्रमुख मुस्लिम संगठनों और धर्मगुरुओं ने कोरोना वायरस की महामारी के मद्देनजर अपने समुदाय के लोगों से घर पर ही रहने की अपील की है। धर्मगुरुओं ने अपील की है कि लोग बुधवार रात शब-ए-बारात के मौके पर दुआ के लिए कब्रिस्तान नहीं जाएं और घर पर रहकर ही इबादत और दुआ करें।
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